Radhey Krishna Status

तेरा दर ढूंढ़ते ढूंढ़ते

जिंदगी की शाम हो गई,

और तेरा दर मिला तो

जिंदगी ही तेरे नाम हो गई

Jai Shree Radhey Shyam


Radhey Krishna



 मेरे साँवरिया...

तुझे पाने कि जो कसक है,, धड़कन बन के दिल में रहती है !...

कभी ना कभी तो मिलोगे तुम ,,हर साँस मेरी ये कहती है !...

🙏हे मेरे नाथ मैं आपको भूलू नहीं 🙏


Jai Shree Radhey

Radhey Krishna Status


 बहुत कुछ है यूँ तो,

इस दुनिया में देखने के लिए, 

लेकिन जिसने तुझे देख लिया हो,

वो और क्या देखे...


जय श्री #कृष्णा 🙏

हे कान्हा

चलें आओ ..अब कहाँ गुम हो, 

    कितनी बार कहू... 

मेरे दर्द की दवा सिर्फ तुम हो..!! 


धन्य हे तेरी बासुरी,

जो चखती है तेरे "अधरामृत" को....

व्याकुल कंठ मेरा तरसे,

       जो तेरे "चरणामृत" को...!! 

🙏🌹 हरे कृष्ण हरे कृष्ण 🌹कृष्ण कृष्ण हरे हरे 🌹🙏



Radhey Krishna Status

 


मेरे प्यारे ठाकुर जी

ना हुनर मेरे पास है

ना किस्मत मेरे हाथ है

रहता हु बेफ़िक्र कयोंकि

मेरे ठाकुर जी मेरे साथ है


Jai Shree Radhey Krishna 

Radhey Krishna Status



वो दिन कभी ना आये,

हद से जायदा  गरूर हो जाये,

बस इतना झुका क रखना मेरे कन्हीया,

की हर दिल दुआ देने को मजबूर हो जाये,


Jai Shree Radhey Krishna 

Radhey krishna status



 हृदय से ठाकुर जी का सुमिरन किया तो,

आवाज राधेरानी तक जायेगी,

राधेरानी ने जो सुन ली हमारी,

तो हर बिगड़ी बात भी बन जायेगी ।

कान्हा जी....


कैसे मैं कहू क्या है मेरी कहानी.....

कभी खुश्क आंखे तो कभी बहता पानी......

पत्ते पत्ते पर ढूंढा पर पता तेरा नही......

जब पता तेरा लगा तो अब पता मेरा नहीं..


🌹🌹🌹🌹🌹🌹जय श्री कृष्णा राधे राधे🌹🌹🌹🌹🌹🌹

BRAJ RAS DHARA 04.07.2020


🍁🌺आज की “ब्रज रस धारा”🌺🍁दिनांक 04/07/2020

"भगवान् की लाठी"


         एक बुजुर्ग दरिया के किनारे पर जा रहे थे। एक जगह देखा कि दरिया की सतह से एक कछुआ निकला और पानी के किनारे पर गया। उसी किनारे से एक बड़े ही जहरीले बिच्छु ने दरिया के अन्दर छलांग लगाई और कछुए की पीठ पर सवार हो गया। कछुए ने तैरना शुरू कर दिया। वह बुजुर्ग बड़े हैरान हुए।

         उन्होंने उस कछुए का पीछा करने की ठान ली। इसलिए दरिया में तैर कर उस कछुए का पीछा किया। वह कछुआ दरिया के दूसरे किनारे पर जाकर रूक गया। और बिच्छू उसकी पीठ से छलांग लगाकर दूसरे किनारे पर चढ़ गया और आगे चलना शुरू कर दिया। वह बुजुर्ग भी उसके पीछे चलते रहे। आगे जाकर देखा कि जिस तरफ बिच्छू जा रहा था उसके रास्ते में एक भगवान् का भक्त ध्यान साधना में आँखे बन्द कर भगवान् की भक्ति कर रहा था।

         उस बुजुर्ग ने सोचा कि अगर यह बिच्छू उस भक्त को काटना चाहेगा तो मैं करीब पहुँचने से पहले ही उसे अपनी लाठी से मार डालूँगा। लेकिन वह कुछ कदम आगे बढे ही थे कि उन्होंने देखा दूसरी तरफ से एक काला जहरीला साँप तेजी से उस भक्त को डसने के लिए आगे बढ़ रहा था। इतने में बिच्छू भी वहाँ पहुँच गया।

         उस बिच्छू ने उसी समय सांप डंक के ऊपर डंक मार दिया, जिसकी वजह से बिच्छू का जहर सांप के जिस्म में दाखिल हो गया और वह सांप वहीं अचेत हो कर गिर पड़ा था। इसके बाद वह बिच्छू अपने रास्ते पर वापस चला गया।

         थोड़ी देर बाद जब वह भक्त उठा, तब उस बुजुर्ग ने उसे बताया कि भगवान् ने उसकी रक्षा के लिए कैसे उस कछुवे को दरिया के किनारे लाया, फिर कैसे उस बिच्छु को कछुए की पीठ पर बैठा कर साँप से तेरी रक्षा के लिए भेजा। वह भक्त उस अचेत पड़े सांप को देखकर हैरान रह गया। उसकी आँखों से आँसू निकल आए, और वह आँखें बन्द कर प्रभु को याद कर उनका धन्यवाद करने लगा, तभी प्रभु ने अपने उस भक्त से कहा,  जब वो बुजुर्ग जो तुम्हे जानता तक नही, वो तुम्हारी जान बचाने के लिए लाठी उठा सकता है। और फिर तू तो मेरी भक्ति में लगा हुआ था तो फिर तुझे बचाने के लिये मेरी लाठी तो हमेशा से ही तैयार रहती है।


"जय जय श्री राधे"

BRAJ RAS DHARA 01.07.2020



🍁🌺आज की “ब्रज रस धारा”🌺🍁दिनांक 01/07/2020

"आस्था और विश्वास"

वृन्दावन की महिमा तभी है अगर भगवान कृष्ण की याद आये, हृदय द्रवित हो, अहं गल जाए बंधन छूट जाएँ।

श्री चैतन्य महाप्रभु वृन्दावन आये एक पण्डा उनके साथ हो लिया। हर स्थान पर बोलता जाता कि कहाँ पर हमारे बन्सीधर ने कौन सी लीला की है।

एक स्थान आया पण्डा बोला, ये वो ही कदम्ब का पेड़ है जिस पर राधाकृष्ण झूला झूलते थे। यहाँ पर राधा जी का मोतियों का हार कान्हा से टूट गया वो बोली सारे मोती चुन कर इकट्ठे कर के मुझे दो। सारे मोती कान्हा ने इकट्ठे किये पर एक मोती ना मिला तो कान्हा ने बांसुरी से खोदा तो मोती ढूंढने को पर बन गयीमोती झील”, राधा रानी जिद पर अड़ गयी मेरा एक मोती ला कर ही दो। फिर कान्हा ने एक पेड़ लगाया और कहा, "इस पर मोती जैसे फूल आयेंगे फिर तुम ले लेना ढेर सारे हार बनाना।" आज भी उस पेड़ पर मोती जैसे फूल आते हैं।

ये लीलाएँ पण्डा के मुख से सुनते ही महाप्रभु की आँखों में आँसू बहने लगे, मोती झील के किनारे लोटने लगे ब्रज धूलि में। "ये मेरे आराध्य देव की खोदी मोती झील है, ये वो ही कदम्ब का पेड़ है जिस पर दोनों झूला झूलते हैं।" हृदय द्रवीभूत हो गया। ब्रजरज में लौटने लगे अपने प्यारे की कृपामयी लीलाओं के सुनने मात्र से ही।

ना तो उन्होंने किसी आर्कयोलॉजिस्ट से पूछा, ना कोई तर्क किया कि क्या वाकई ये वो ही स्थान है या तुम गढ़ी हुई कहानी सुना रहे हो। कोई किन्तु परन्तु कुछ नहीं किया।

भक्त ने सुना और हो गया हृदय द्रवित, गला रुंध गया, लीला में डूब गया और ब्रजरज में लौटने लगा। भगवान को तर्क करने से नहीं केवल प्रेम से, आस्था से, विश्वास से ही पाया जा सकता है।

पंडितों की दुनिया दूसरी होती है। विद्वानो की दूसरी दुनिया है और भक्तों की अलग। ब्रज का मार्ग तो प्रेम का मार्ग है, श्रद्धा का मार्ग है।
            वृंदावन  के   वृक्ष  को   मर्म  ना  जाने  कोय,
            डाल-डाल और पात-पात श्री राधे राधे होय।
                         

                           "जय जय श्री राधे"