राधे राधे

आज की “ब्रज रस धारा”

दिनांक 15/09/2018
एक बार भगवान शंकर के मन में भी विष्णु के बालस्वरूप के दर्शन करने की इच्छा हुई. भादौ शुक्ल द्वादशी के दिन भगवान शंकर अलख जगाते हुए गोकुल में आए.
शिव जी द्वार पर आकर खड़े हो गए. तभी नन्द भवन से एक दासीशिवजी के पास आई और कहने लगी कि यशोदाजी ने ये भिक्षा भेजी है इसे स्वीकार कर लें.
और लाला को आशीर्वाद दे दें. शिव बोले मैं भिक्षा नहीं लूंगा, मुझे किसी भी वस्तु की अपेक्षा नहीं है, मुझे तो बालकृष्ण के दर्शन करना है. दासी ने यह समाचार यशोदाजी को पहुंचा दिया.”अरी मईया! देखा दे मुख लाल का, तेरेपलने में, पालनहार देखा दे मुख लाल का “यशोदाजी ने खिड़की में से बाहर देखकर कह दिया कि लाला को बाहर नहीं लाऊंगी, तुम्हारे गले में सर्प है जिसे देखकर मेरा लाला डर जाएगा.
शिवजी बोले कि माता तेरा कन्हैया तोकाल का काल है, ब्रह्म का ब्रह्म है.वह किसी से नहीं डर सकता, उसे किसी की भी कुदृष्टि नहीं लग सकती और वह तो मुझे पहचानता है.यशोदाजी बोलीं-कैसी बातें कर रहे हो आप? मेरा लाला तो नन्हा सा है आपहठ न करें. शिवजी ने कहा- तेरे लाला के दर्शन किए बिना मैं यहां से नहीं हटूंगा. मै यही समाधी लगा लूगा जब इधर बाल कन्हैया ने जाना कि शिवजी पधारे हैं.
और माता वहां ले नहीं जाएंगी,और वे दर्शन न मिलने पर समाधी लगा लेगे क्योकि कन्हैया जानते थे कि भोले बाबा कि समाधी लग गई तो हजारों वर्ष के बाद ही खुलेगी तो उन्होंने जोर से रोना शुरु किया.जब कन्हैया किसी भी प्रकार चुप नहीं हुए तो माता को लगा कि सचमुच वेयोगी परम तपस्वी है, यशोदाजी बालकृष्ण को बाहर लेकर आई.
शिवजी ने सोचा कि अब कन्हैया मेरे पास आएंगे, शिवजी ने दर्शन करके प्रणाम किया किन्तु इतने से तृप्ति नहीं हुई. वे अपनी गोद में लेना चाहते थे.
शिवजी यशोदाजी से बोले कि तुम बालक के भविष्य के बारे में पूछती हो, यदि इसे मेरी गोद में दिया जाए तो मैं इसकी हाथों की रेखा अच्छी तरह से देख लूंगा. यशोदा ने बालकृष्ण को शिवजी की गोद में रख दिया. जब हरि औरहर एक हो गए तो वहां कौन क्या बोलेगा.”जय जय श्री राधे “
RADHEY KRISHNA
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